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सत्ता, शरद पवार और झाड़ू !

प्रयास
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अपने पूरे परिवार के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने हाथ में झाड़ू लेकर स्वच्छ भारत अभियान में हिस्सा लिया तो अच्छा लगा कि एक अच्छे मकसद के लिए शुरु की गई इस मुहिम में शरद पवार राजनीति से ऊपर उठकर भागीदार बने। ऑस्ट्रेलिया से प्रधानमंत्री मोदी ने भी शरद पवार के इस कदम की सराहना करते हुए ट्विट कर दिया। लेकिन शरद पवार एंड फैमिली के स्वच्छ भारत अभियान में जुड़ने के पीछे का असल मकसद क्या है ? ये सवाल शरद पवार के हाथ में झाड़ू देखने के बाद से लगातार जेहन में उमड़ घुमड़ रहा है।

शरद पवार की नीयत पर शक शायद नहीं होता, लेकिन शरद पवार एंड फैमिली के स्वच्छता अभियान में जुड़ने की टाईमिंग यह सोचने पर मजबूर करती है ! शरद पवार एंड फैमिली ने हाथ में झाड़ू उस वक्त उठाया, जब भाजपा शिवसेना से बात न बनने के बाद खुशी खुशी एऩसीपी के समर्थन से महाराष्ट्र सदन में विश्वास मत हासिल करने में जरा भी नहीं हिचकिचाई !

केन्द्र में यूपीए सरकार में भागीदार एनसीपी आम चुनाव में यूपीए की करारी हार के बाद सत्ता सुख खो चुकी थी। बचा था, महाराष्ट्र लेकिन वहां पर भी कांग्रेस से अलग होकर अकेले दम पर सरकार बनाने के सपना देख रही एनसीपी का सपना चकनाचूर हो गया। ऐसे में सत्ता का सुख न भी भोगा जाए तो कैसे सत्ताधारियों के करीब रहा जाए, उनसे दोस्ती बढ़ाई जाए, इसका रास्ता एनसीपी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पूरे नतीजे आने से पहले ही ढ़ूंढ़ लिया था। भाजपा को स्पष्ट बहुमत तक न पहुंचते देख एनसीपी ने भाजपा को बिना शर्त बाहर से समर्थन का ऐलान कर दिया।

हालांकि भाजपा ने शिवसेना का विकल्प खुला रखा था, लेकिन जब बात नहीं बनी तो आखिर एनसीपी की मदद से ही भाजपा सरकार ने महाराष्ट्र विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया।

एनसीपी का ये दांव काम कर गया तो उसका हौसला बढ़ना लाजिमी था, ऐसे में एनसीपी को भी एहसास हो गया कि सत्ताधारियों से नजदीकीयां बढ़ाने का उसका कदम व्यर्थ नहीं जा रहा है। महाराष्ट्र में भाजपा सरकार बनवाने के बाद नजदीकीयां बढ़ाने का इससे अच्छा मौका क्या हो सकता था, कि हाथ में झाड़ू लेकर स्वच्छ भारत अभियान का झंडा बुलंद किया जाए और प्रधानमंत्री की नजरों में आया जाए। हुआ भी ऐसा ही और पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलिया से ही शरद पवार के झाड़ू उठाने के तस्वीरें सामने आने के कुछ ही देर बाद शरद पवार की तारीफ में ट्विट कर डाला।

शरद पवार की सत्ता से नजदीकी बढ़ाने को लेकर उनकी बेचैनी समझी जा सकती है, लेकिन महाराष्ट्र में एनसीपी को पानी पी पी कर कोसने वाली भाजपा का एनसीपी क सहयोग से सरकार बनाना समझ से परे है। रणनीति भाजपा और एनसीपी की जो भी हो, लेकिन अपने – अपने फायदे की राजनीति में जनता से किए वादों को भूल जाना का दस्तूर बदस्तूर जारी है।

फिलहाल तो सबकी नजरें इस पर हैं कि शरद पवार की पावर से महाराष्ट्र में सरकार गठित करने वाली भाजपा का एनसीपी के लिए भविष्य में क्या रूख रहता है और शरद पवार भाजपा को और कैसे कैसे सहयोग और समर्थन देते हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो भाजपा और एनसीपी की नजदीकियां जैसे जैसे बढ़ेंगी वैसे वैसे सवाल की फेरहिस्त भी लंबी होती जाएगी, जिसका जवाब देना भाजपा और एनसीपी दोनों के लिए ही आसान नहीं होगा !

deepaktiwari555@gmail.com

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