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18 साल-देर आए दुरुस्त आए !

प्रयास
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23 साल पहले 1991 में जब जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनती हैं, तो ऐलान करती हैं कि वे बतौर मुख्यमंत्री सिर्फ एक रूपया वेतन लेंगी। अमूमन किसी राजनेता के मुंह से ऐसी बात कम ही सुनने को मिलती हैं, लेकिन जब जयललिता ने ये ऐलान किया तो, इस कदम की खूब तारीफ भी हुई थी। इससे जयललिता ने न सिर्फ खुद को ईमानदार राजनेता के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की बल्कि तमिलनाडु की जनता का दिल भी जीतने की कोशिश की। लेकिन किसने सोचा था कि एक रूपए महीने वेतन लेने वाली यही जयललिता 18 साल बाद आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी करार दी जाएंगी।

1991 में मुख्यमंत्री बनने के बाद जयललिता ने तीन करोड़ की संपत्ति घोषित की थी, लेकिन उनके पांच साल के कार्यकाल में जयललिता के पास 66.65 करोड़ की संपत्ति हो गई। अब एक रूपए महीने के वेतन में 3 करोड़ से किसी की संपत्ति 66.65 करोड़ तो हो नहीं सकती। इसी आरोप में जयललिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और 18 साल पहले दर्ज एफआईआर पर 27 सितंबर 2014 को बेंगलुरू की स्पेशल कोर्ट ने जयललिता को दोषी करार देते हुए 4 साल की सजा सुनाई और 100 करोड़ रूपए का जुर्माना भी लगाया। जयललिता के घर से छापे में छापे में 28 किलो सोना, 800 किलो चांदी, 10 हजार 500 साड़ियां, 91 घड़ियां और 750 जोड़ी जूते मिले थे। साथ ही उनके पास कई मकान, फार्म हाउस और चाय बागान होने की बात भी सामने आई थी।

अब जबकि जयललिता को सजा का ऐलान हो चुका है, तो तीसरी बार तमिलनाडु की सीएम बनी उनकी कुर्सी भी छिन चली गई है। जयललिता और उनके समर्थकों के लिए ये इसलिए दिल दहला देने वाला है, क्योंकि इसी जयललिता की एआईएडीएमके ने न सिर्फ 2011 में तमिलनाडु की 234 विधानसभा सीटों में से 150 सीटों पर जीत हासिल कर तमिलनाडु में सरकार बनाई बल्कि 2014 के आम चुनाव में तमिलनाडु की सभी 37 लोकसभा सीटों पर भी जीत हासिल की है। आय से अधिक संपत्ति मामले में जेल की हवा खाने वाले जयललिता को खुद के किए की सजा मिलने से दिल को संतुष्टि जरूर मिली है, कि भ्रष्ट राजनेता का कद चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, न्यायपालिका के सामने उसका कोई बिसात नहीं है। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहते हुए जयललिता पर बेंगलुरू की स्पेशल कोर्ट का फैसला कम से कम न्यायपालिका पर आम आदमी के विश्वास को मजबूत करने का ही काम करता है। हालांकि एक टीस भी दिल में रह गई कि इस मामले को अंजाम तक पहुंचने में 18 साल का लंबा वक्त लग गया। इन 18 सालों में जयललिता दो बार तमिलनाडु की सीएम की कुर्सी पर विराजमान भी हुई। आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है, कि इस दौरान जयललिता ने सीएम की कुर्सी पर रहते क्या कुछ नहीं किया होगा। हो सकता है, न भी किया हो लेकिन इस पर यकीन कैसे किया जाए, क्योंकि पहली बार का अनुभव आंखे खोलने के लिए काफी है। बहरहाल इतना ही कहा जा सकता है कि 18 साल बाद ही सही, देर आए दुरुस्त आए। साथ ही ये उम्मीद भी करते हैं कि जनता की देश की अदालतों में लंबित केसों के निपटारे में तेजी आएगी और समय रहते दोषियों को उनके किए की सजा मिलेगी।

deepaktiwari555@gmail.com

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