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जय हो धोनी एंड कंपनी की !

प्रयास
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भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी खुश तो बहुत होंगे, ओवल टेस्ट महज ढ़ाई दिन में जो खत्म हो गया। मैनचेस्टर में चौथे टेस्ट मैच में तीसरे ही  दिन पारी और 54 रनों से करारी हार के बाद धोनी की खुशी देखने लायक थी। आखिर ओवल में पांचवे और अंतिम टेस्ट मैच से पहले भारतीय टीम को आराम के लिए दो दिन का अतिरिक्त समय जो मिल गया था। टीम ने इस समय का सदुपयोग करने का फायदा भी ओवल में पांचवे टेस्ट मैच में साफ नजर आया और भारत ने अपने शानदार प्रदर्शन से इस मैच को ढ़ाई दिन से ज्यादा नहीं चलने दिया।

खास बात तो ये रही कि भारतीय खिलाड़ियों ने इस मैच में अपना प्रदर्शन सुधारते हुए हार का अंतर पारी और 54 रनों से बढ़ाकर पारी और 244 रन कर दिया। इतना ही नहीं भारतीय टीम ने अपने प्रदर्शन के दम पर एक और रिकार्ड अपने नाम कर लिया। रिकार्ड 40 सालों में इंग्लैंड के हाथों सबसे बड़ी और शर्मनाक हार का। 1974 में अजीत वाडेकर की कप्तानी में इंग्लैंड के हाथों पारी और 285 रनों से हारने के बाद इस नए रिकार्ड को बनाने के लिए भारतीय खिलाड़ी इतने उतावले दिखाई दे रहे थे कि पूरी टीम महज 143 मिनट में ही ढ़ेर हो गई। जिस पिच पर अंग्रेजों ने पहली पारी में 486 रन ठोक डाले, उस पिच पर भारतीय टीम पहली पारी में 148 रनों पर ढ़ेर हो गई तो दूसरी पारी में सिर्फ 98 रन ही बना सके।

सिर्फ सीरीज के पहले और दूसरे टेस्ट मैच को छोड़ दिया जाए तो तीसरे, चौथे और पांचवे टेस्ट मैच में भारतीय खिलाड़ी अंग्रेजों के सामने घुटने टेकटे नजर आए। पहला टेस्ट मैच ड्रा कराने के बाद जब भारतीय टीम ने लार्डस में दूसरा टेस्ट मैच 95 रनों से जीता तो लगने लगा था कि शायद भारत सीरीज अपने नाम कर अंग्रेजों से पिछली दो सीरीज में मिली हार का बदला ले लेगा लेकिन लार्डस में जीत की खुमारी भारत पर भारी पड़ गयी और एक के बाद एक इंग्लैंड ने आखिरी के तीनों टेस्ट मैचों में भारत को करारी हार का स्वाद चखा कर सीरीज 3-1 से जीतकर भारत के सीरीज जीतने के सपने को चूर चूर कर दिया।

सीरीज में 1-0 की बढ़त लेने के बाद 3-1 से सीरीज को गंवा देना ये बताने के लिए काफी है कि लार्डस में मिली 28 साल बाद ऐतिहासिक जीत के बाद भारतीय खिलाड़ियों अति आत्मविश्वास से लबरेज थे, और यही अति आत्मविश्वास भारतीय टीम को ले डूबा। जबकि दूसरे टेस्ट मैच में लार्डस में हार झेलने के बाद कड़ी आलोचना झेलने वाले इंग्लैड के कप्तान एलिस्टर कुक ने न सिर्फ अगले मैच में निराशा से उबरते हुए टीम को शानदार जीत दिलाई बल्कि सीरीज में पिछड़ने के बाद भी सीरीज 3-1 से जीत ली।

सीरीज में इस परिणाम के बाद कहने में कोई हर्ज नहीं कि अंग्रेजों ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया जबकि भारतीय खिलाड़ियों ने भारत को शर्मशार करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। अपने हर अगले मैच में भारतीय खिलाड़ी हार के नए रिकार्ड बनाने के लिए उतावले दिखाई दे रहे थे।

बहरहाल देखना रोचक होगा कि भारतीय टीम इस करारी हार से कोई सबक लेकर 25 अगस्त से शुरु हो रही पांच वन डे मैचों की सीरीज और एक टी 20 मैच जीतकर अंग्रेजों से बदला ले पाएगी या फिर भारतीय क्रिकेट टीम का ये शर्मनाक प्रदर्शन जारी रहेगा। उम्मीद पर दुनिया कायम है, फिर ये तो क्रिकेट है, ये तो खेल ही अनिश्चितताओं का है।

deepaktiwari555@gmail.com

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