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बजट, मूर्ति और 200 करोड़

प्रयास
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वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट पेश करने के बाद जेटली को मोदी की शाबाशी मिल रही है तो विपक्ष इसे खोदा पहाड़ निकली चुहिया की संज्ञा दे रहा है। आयकर में छूट की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को छूट के रूप में अच्छी ख़बर तो मिली लेकिन उनकी उम्मीद से कम। हालांकि अधिकतर अर्थशास्त्रियों की नजर में यह एक संतुलित बजट है, उनके मुताबिक इसमें हर क्षेत्र और वर्ग को सम्मिलित किया गया है। आयकर छूट की सीमा ढ़ाई लाख करने और 80 सी के तहत निवेश की सीमा डेढ़ लाख करने और पीपीएफ में निवेश की अधिकतम सीमा डेढ़ लाख करने से करदाताओं को राहत तो मिली है लेकिन उम्मीद इससे कहीं ज्यादा की थी।

इसी तरह नमामि गंगा योजना के लिए 2037 करोड़ का प्रावधान किया गया है तो 4 नए एम्स बनाने के लिए 500 करोड़ रुपये, हर राज्य में एक एम्स खोलने का लक्ष्य। 5 नए आईआईटी और 5 नए आईआईएम के लिए 500 करोड़ रुपये समेत कई और योजनाएं शुरु किए जाने की बात कही गई है। ठीक है सारी चीजें समझ में आती हैं, ये बात भी ठीक है कि सबको खुश नहीं किया जा सकता।

लेकिन गुजरात में सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्ति निर्माण के लिए 200 करोड़ का प्रवधान करना गले नहीं उतरता। मोदी सरकार का ये मूर्ति प्रेम समझ से परे है। सिर्फ मूर्ति प्रेम पर 200 करोड़ रूपए खर्च करना कहां तक तर्कसंगत है। वो भी ऐसे वक्त में जब मोदी सरकार का हर एक कारिंदा ये कहकर सरकार का बचाव कर रहा है कि देश की अर्थव्यवस्था मरणासन्न अवस्था में है। याद कीजिए जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का मूर्ति प्रेम हिलोरे मार रहा था उस वक्त इसकी आलोचना करने में भाजपा पीछे नहीं थी लेकिन अच्छे दिन का इंतजार कर रही जनता की गाढ़ी कमाई के बड़े हिस्से को अब मूर्ति के लिए खर्च करने का मोदी सरकार के फैसले पर भाजपाई खामोश हैं। जाहिर है एक मूर्ति से जरूरी आमजन से जुड़े कई ऐसे काम हैं, जहां पर पैसे खर्च किए जाने की जरूरत है, लेकिन अफसोस सरकार की प्राथमिकता में मूर्ति है। प्रधानमंत्री का कहना है कि बजट मरणासन्न अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी का काम करेगी और अच्छे दिन आने का मार्ग प्रशस्त होगा। मोदी जी भले ही अच्छे दिन आने का भरोसा दिला रहे हों लेकिन इतना तो तय है कि कम से कम मूर्ति पर 200 करोड़ रूपए खर्च करने जैसे फैसलों से तो आम जनता के अच्छे दिन नहीं आने वाले।

deepaktiwari555@gmail.com

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