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जनता अपना फैसला कब सुनाएगी..?

प्रयास
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वो बातें बड़ी बड़ी करते हैं…खुद को देश का सच्चा हितैषी बताते हैं…भारत और भारतवासियों के विकास की बातें करते हैं, दम तोड़ती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की बातें करते हैं..! बेरोजगारी दूर करने के साथ ही महंगाई से निजात दिलाने का वादा करते हैं..! विदेशी बैंकों में जमा कालेधन को भारत में वापस लाने की बात करते हैं, भ्रष्टाचार और अपराध को खत्म करने का भी वादा करते हैं..! धूर्त पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन को सबक सिखाने का भी दम भरते हैं..!

इस सब के नाम पर देश की जनता से सत्ता की चाबी सौंपने की अपील करते हैं लेकिन…लेकिन अफसोस जब बारी आती है इस कसौटी पर खुद को साबित करने की तो ये भी उसी जमात में शामिल हो जाते हैं जिनके हाथ से सत्ता खुद को सौंपने की ये जनता से अपील कर रहे होते हैं..!

जाहिर है सभी एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं जो खुद को एक दूसरे से अलग दिखाने के सिर्फ ढोंग ही करते हैं..! कहावत भी है कि चोर-चोर मौसेरे भाई, बात बात पर कुर्सी – मेज तोड़ने वाले ये लोग अपने व्यक्तिगत हितों के लिए सामूहिक रुप से हुंकार भरते हुए संसद में मेज थपथपाने में देर नहीं करते क्योंकि ये इनकी कौम का जो मामला है..!

खुद की जान पर बन आई तो राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलटने में जरा भी देर नहीं की जिसने दागी नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर पूर्ण विराम तो नहीं लेकिन विराम लगाने का रास्ता जरुर खोल दिया था..! अपने राजनीतिक भविष्य पर संकट के बादल मंडराते देख आपस में लड़ने वाले सभी दल एक हो गए औऱ जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन संबंधी प्रस्ताव पर सर्वदलीय बैठक में सभी दलों की सहमति के बाद केन्द्रीय कैबिनेट ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है..! जिसके बाद अब न तो निचली अदालत से दो साल या अधिक की सजा होने पर सांसदो, विधायकों की सदस्यता रद्द होगी और न ही हिरासत में रहते हुए चुनाव लड़ने पर रोक रहेगी..!

सत्ताधारी दल तो गले तक भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है लेकिन विपक्ष क्या कर रहा है..? विपक्ष इस सब का हवाला देकर जनता से 2014 में सत्ता की चाबी मांग रहा है लेकिन जब बात अपने किए किसी एक वादे को ही चुनाव पूर्व पूरा करने की बारी आई तो इन्होंने अपना असली रंग दिखा दिया..! ये अपने दागी साथियों को बचाने के लिए एकसाथ खड़े हो गए और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की सरकारी कवायद का विरोध करने की बजाए कधे से कंधा मिलाकर चलने में भी इन्होंने जरा सी देर नहीं की..! सत्ता पक्ष के साथ ही क्या भाजपा, क्या सपा, क्या बसपा, क्या जदयू..? समूचा विपक्ष अपने साथियों के व भविष्य में अपने राजनीतिक भविष्य पर मंडराते संभावित खतरे से निपटने के लिए एक ही छतरी के नीचे आ गए..!

आपराधिक इतिहास वाले नेताओं की देश के छोटे बड़े सभी राजनीतिक दलों में कितनी पैठ है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि मई 2009 की नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक 15वीं लोकसभा में 150 दागी सांसद हैं जिनमें से 73 के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। वहीं राज्यों की बात करें तो दागी विधायकों के मामले में झारखंड देश में सबसे अव्वल है, जहां पर कुल विधायकों में से 72 फीसदी (55 विधायक) विधायकों के खिलाफ कोई न कोई आपराधिक मामला चल रहा है। 55 में से भी 24 विधायकों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। बिहार इस सूची में दूसरे नंबर पर है जहां पर 58 फीसदी (140 विधायक) विधायक दागी हैं जिनमें से भी 84 विधायकों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। महाराष्ट्र इस फेरहिस्त में 51 फीसदी (146 विधायक) विधायकों के साथ तीसरे नंबर है जिनमें से 56 विधायकों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। विधायकों की संख्या के साथ चौथे नंबर पर उत्तर प्रदेश विराजमान है, जहां दागी विधायकों का प्रतिशत 47(189 विधायक) है, जिसमें से 98 विधायकों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं।

अन्य राज्यों में भी हालात कुछ जुदा नहीं है और बड़ी संख्या में दागी विधायक राज्य की विधानसभाओं की शोभा बढ़ा रहे हैं। सिर्फ मणिपुर ही इकलौता ऐसा राज्य है जहां पर किसी भी विधायक के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला नहीं है और सभी 60 विधायक बेदाग हैं।

राजनीतिक दलों के चश्मे से देखें तो इन्होंने क्या गलत किया..? कौन अपने भविष्य पर विराम लगने का रास्ता खुला रखना चाहेगा..? वही तो इन्होंने भी किया, सत्ता के लिए आपस में जूतम पैजार तक करने से बाज नहीं आने वाले ये नेता अपने भविष्य पर आंच आते देख एक सुर में गाने लगे..! आंकड़ें चीख चीख कर यही गवाही दे रहे हैं कि अगर राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए एक नहीं होते तो शायद हमारी संसद और देश की तस्वीर ही बदल जाती, जो शायद राजनीतिक दल कभी नहीं चाहेंगे..! सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तो इन्होंने पलटने में देर नहीं की पर जनता का फैसला ये नहीं पलट पाएंगे, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या जनता चुनाव में अपनी वोट की ताकत से दागियों के खिलाफ फैसला सुनाएगी..?

deepaktiwari555@gmail.com

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