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उत्तराखंड में आई भीषण आपदा को दो महीने का वक्त बीत जाने के बाद भी सरकार प्रभावितों तक राहत सामग्री पहुंचाने के साथ ही उनके पुनर्वास के लिए प्रभावी कदम उठाने में विफल रही है..! आपदा राहत कार्यों को सही ढंग से अंजाम देने में विफल रहने और इस दौरान दिल्ली दरबार पर माथा टेकने में व्यस्त रहने पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की खूब आलोचना भी हुई लेकिन हैरत की बात है कि इसके बाद भी जैसे तैसे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने विजय बहुगुणा की कुर्सी अभी तक एकदम सही सलामत है..! (पढ़ें- उत्तराखंड के वो दिल्ली वाले मुख्यमंत्री..!)
हालांकि चर्चाएं तो अभी भी गर्म हैं कि आगामी एक-दो महीने में बहगुणा पर गाज गिर सकती है और मुख्यमंत्री की कुर्सी उनसे छीनकर किसी और को सौंपी जा सकती है, इन चर्चाओं से कुर्सी के दूसरे दावेदार मन ही मन खुश भी हो रहे हैं, लेकिन दूर दूर तक मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार न होने के बाद भी अगर बहुगुणा जैसे तैसे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो वे ये भी अच्छी तरह जानते हैं कि कैसे अपनी कुर्सी बचानी है..! (जरुर पढ़ें- विजय बहुगुणा कैसे बने मुख्यमंत्री?)
फिर चाहे दिल्ली दरबार के चक्कर लगाने पड़ें या फिर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रुप में देखने का राग अलापना पड़े, बहुगुणा किसी भी जुगत को आजमाने से नहीं चूकते..!
सियासी आपदा प्रबंधन के बीच बहुगुणा को फिर से एक ऐसा ही मौका मिल गया है जिसे भुनाने में बहुगुणा ने बिल्कुल भी देर नहीं की..!
बहुगुणा ने आलाकमान को खुश करने के लिए 2014 के मद्देनजर यूपीए सरकार की महत्वकांक्षी योजना “खाद्य सुरक्षा योजना” को उत्तराखंड में लांच करने में देर नहीं की, ये बात अलग है कि बहुगुणा सरकार आपदा प्रभावितों को दो वक्त का राशन मुहैया कराने में विफल रही है..!
आपदा का दंश झेल रहे उत्तराखंड में इस योजना से 61 लाख से ज्यादा परिवारों को इसका लाभ मिलेगा जबकि लोगों को सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए सरकारी खजाने पर करीब 155 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा..! उत्तराखंड सरकार ने इस योजना को लांच तो कर दिया लेकिन प्रदेशवासियों को इसका लाभ दो सितंबर 2013 से मिलना शुरु होगा..!
दरअसल अपदा प्रबंधन में विफल रहे बहुगुणा का ये कदम खुद के सियासी आपदा प्रबंधन की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है क्योंकि बहुगुणा भी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि आपदा प्रबंधन में सरकारी विफलता के कारण उनकी कुर्सी डगमगा रही है और इसे बचाने का एक ही तरीका है कि कोई भी जुगत लगाकर बस आलाकमान को खुश किया जाए, फिर बहुगुणा के लिए इस नाजुक वक्त पर इससे अच्छा मौका और क्या हो सकता था..? बहुगुणा ने भी देर नहीं की और राजीव गांधी के जन्मदिवस के मौके पर दिल्ली सरकार की तरह खाद्य सुरक्षा योजना को लांच कर दिया..!
शायद बहुगुणा की ये जुगत काम भी कर जाए और उनकी कुर्सी बच जाए क्योंकि आलाकमान तो बहुगुणा टाइप लोगों की ही सुनता है क्योंकि ऐसे लोग आलाकमान के आदेश पर सवाल नहीं करते बस आदेशों का पालन करते हैं और शायद यही आलाकमान चाहता भी है, तभी तो दौड़ में न होने के बाद भी सबको दरकिनार कर विजय बहुगुणा उत्तराखंड की कुर्सी पर काबिज हो गए..! (पढ़ें- वाह बहुगुणा ! हजारों मर गए, अब याद आया कर्तव्य..!)
deepaktiwari555@gmail.com
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