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बेड़ियों में जकड़े अखिलेश..!

प्रयास
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देर से ही सही आखिर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को समझ में तो आ गया कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था का हाल बुरा है। ये छोड़िए मुलायम ने इस बात को स्वीकार भी कर लिया कि उनके सुपुत्र अखिलेश यादव कानून व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखने में विफल साबित हो रहे हैं लेकिन मुलायम ये कहना नहीं भूले कि वे अगर मुख्यमंत्री होते तो 15 दिनों में कानून व्यवस्था को सुधार देते..!

ये वही मुलायम सिंह यादव हैं जो कुछ महीने पहले कानून व्यवस्था को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा सवाल उठाने पर ये कहते सुनाई दे रहे थे कि सूप तो सूप छलनी भी बोले जिसमें 72 छेद। (जरुर पढ़ें- छलनी भी बोले जिसमें 72 छेद..!)

मुलायम सिंह को मायावती का कानून व्यवस्था पर सवाल उठना नागवार गुजरा था और मुलायम ने उल्टा बसपा सरकार के कार्यकाल की स्थितियों से इसकी तुलना करनी शुरु कर दी थी। मुलायम तब कह रहे थे कि बसपा सरकार में भी तो अपराध हुए थे ऐसे में मायावती को सपा सरकार पर सवाल उठाने का कोई हक नहीं है..!

लेकिन अब जब पानी सिर से ऊपर जाने लगा है तो मुलायम सिंह को बदहाल कानून व्यवस्था दिखाई देने लगी है। अरे मुलायम सिंह जी ये चिंता कुछ महीने पहले कर लेते तो शायद ये हालात ही यूपी में न होते..! वैसे देर से ही सही आपकी इस चिंता से भी भविष्य में कानून व्यवस्था में बहुत बड़ा सुधार हो जाएगा इसकी उम्मीद कम ही है..! जहां तक बात है कि आप सीएम रहते हुए कानून व्यवस्था को 15 दिनों में सुधार देते तो ये ज्ञान अपने सुपुत्र अखिलेश यादव को दीजिए न…मीडिया में इस बघारने की क्या जरुरत है..?

मुलायम ये भी कहते सुनाई दे रहे हैं कि अखिलेश सरकार में उनका कोई दखल नहीं है और अखिलेश स्वतंत्र रुप से कार्य कर रहे हैं..! मुलायम की इस बात पर तो विश्वास नहीं होता है क्योंकि जिस अखिलेश के मंत्रिमंडल में मुलायम के राजनीतिक सफर में बरसों से उनके साथ रहे साथी शामिल हों उन पर क्या अखिलेश उन पर लगाम कस सकते हैं..? या फिर उनकी किसी बात को काट सकते हैं..? चाहे अनर्गल बयानबाजी की बात हो या फिर अपने अनुसार काम करवाने की बात..!

और अगर मुलायम सही कह रहे हैं और वास्तव में अखिलेश बिना किसी दबाव के स्वतंत्र रुप से काम कर रहे हैं फिर तो मुझे अखिलेश यादव की काबलियत पर शक होता है..! अखिलेश क्यों अपनी सोच को अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों और उन अधिकारियों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं जिनके कंधे पर प्रदेश के विकास की जिम्मेदारी है..?

अखिलेश ने क्यों अपने मंत्रिमंडल में दागी मंत्रियों को जगह दी..?

एक युवा मुख्यमंत्री से जो उम्मीदें प्रदेश वासियों को थी उन पर अखिलेश खरे क्यों न उतर पा रहे हैं..?

आखिर क्यों कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने में अखिलेश सरकार को पसीना छूट रहा है..? (जरुर पढ़ें- अखिलेश ने बदल दी यूपी की तस्वीर..!)

जाहिर है ये सब अखिलेश के लिए इतना मुश्किल नहीं है लेकिन अखिलेश यादव चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं और ये तभी संभव है जब वे कार्य करने के लिए…फैसले लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं..! जिसका सीधा मतलब कि मुलायम सिंह यादव झूठ बोल रहे हैं कि सरकार के कामकाज में उनका कोई दखल नहीं है..!

बहरहाल जो भी हो हम तो कम से कम यही उम्मीद करेंगे कि अखिलेश यादव अपने पिता और पिता के संगी साथियों की राजनीतिक बेडियों को तोड़कर बाहर निकलें और स्वतंत्र रुप से कार्य करें ताकि सरकार के बाकी बचे चार साल उस तरह न गुजरें जैसे सरकार का पहला साल बीता..!

deepaktiwari555@gmail.com

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