प्रयास
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ये गर्मी भी बड़ी बेशर्म है
सुबह 6 बजे भी हवाएं गर्म हैं
पसीने से बदन तर बतर है
चारों तरफ गर्म हवाओं का असर है
ये गर्मी भी बड़ी बेशर्म है
नहाने जाओ तो नलके का पानी गर्म है
अब तो किसी को मटके का पानी देने में भी शर्म है
आसमान से बरस रही आग के बीच
एसी से निकलता ताप चरम पर है
ये गर्मी भी बड़ी बेशर्म है
झुलसती गर्मी में मजदूरी कैसे न करें
बच्चों को पालना भी तो धर्म है
तन पर कपड़ा क्यों न डालें
मौसम को नहीं तो क्या हमें तो शर्म है
ये गर्मी भी बड़ी बेशर्म है
रात के 12 बजे भी हवाएं गर्म है
नींद कैसे आए बिस्तर भी तो गर्म है
पंखे कूलर भी बंद हो गए
अब तो लगता है बिजली भी बेशर्म है
ये गर्मी भी बड़ी बेशर्म है
©deepaktiwari555@gmail.com
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