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लो, फिर बोले गृहमंत्री शिंदे..!

प्रयास
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दिल्ली में पांच साल की मासूम से दरिंदगी पर संसद में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को सुनकर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का बयान याद आ गया। ज्यादा दिन पुरानी बात नहीं है जब उत्तर प्रदेश में पुलिस अधिकारी की हत्या के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्य में बढ़ती आपराधिक वारदातों के लिए जब सपा सरकार को कठघरे में खड़ा किया था तो मुलायम सिंह यादव का जवाब कुछ यूं था…“सूप बोले तो बोले, छलनी भी बोले जिसमें बहत्तर छेद। मायावती की सरकार के कई मंत्री और विधायक रेप, भ्रष्टाचार जैसे मामलों में जेल की सजा काट रहे हैं, ऐसे में उन्हें सपा सरकार के बारे में बोलने का कोई हक नहीं है”। मुलायम का बयान ये दर्शा रहा था कि वे राज्य में हो रही आपराधिक घटनाओं को जायज ठहरा रहे थे..! (जरूर पढ़ें- छलनी भी बोले जिसमें 72 छेद..!)।

5 साल की मासूम से दरिंदगी और दिल्ली में रेप की बढ़ती घटनाओं पर संसद में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का बयान भी कुछ ऐसा ही था..! शिंदे बोले कि रेप की घटनाएं दूसरे राज्यों में भी होती हैं। अब शिंदे के इस शर्मनाक बोल के क्या मतलब निकालें जाएं..? शिंदे के बयान से तो ये लगता है कि जैसे वे देश के गृहमंत्री न होकर सिर्फ दिल्ली के गृहमंत्री हैं और राजधानी के अलावा दूसरे राज्यों में क्या हो रहा है उससे इन्हें कोई मतलब नहीं है..! शिंदे का बयान क्या ये भी नहीं दर्शाता कि देश के दूसरे राज्यों में भी तो बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं तो दिल्ली में भी बलात्कार हो रहे हैं तो क्या गलत है..?

मेरे कुछ मित्रों को मुझसे इस बात की शिकायत रहती है कि मैं बेवजह शिंद के खिलाफ कलम घिसता हूं..! अब इऩ मित्रों से सवाल है कि जब आपके प्रिय गृहमंत्री 5 साल की मासूम से दरिंदगी पर महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा की बजाए इसकी तुलना दूसरे राज्यों में हो रही रेप की घटनाओं से कर रहे हैं तो इसे क्या कहा जाए..? देश के गृहमंत्री से जब लोग महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की उम्मीद लगाए बैठे हैं तब गृहमंत्री साहब दूसरे राज्यों में रेप की घटनाओं का जिक्र कर जिम्मेदारी से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हों तो इसे क्या कहा जाए..? (जरूर पढ़ें- क्यों पड़े हो शिंदे के पीछे..?)

खैर छोड़िए शिंदे के प्रेमियों को हर बार की तरह यहां भी शिंदे के बोल अनमोल ही लग रहे होंगे। शिंदे के प्रति उनके इस अगाध प्रेम की वजह तो वे ही जानते होंगे लेकिन क्या हम देश के गृहमंत्री से इस तरह के बेतुके और शर्मनाक बयान की उम्मीद कर सकते हैं..!

गृहमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने के बाद से ही शिंदे अपने अनमोल वचनों की वजह से ज्यादा चर्चा में रहे हैं..! संसद में मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को “श्री” और “मिस्टर” कहकर संबोधित करने का मामला हो या फिर संसद में महाराष्ट्र के भंडारा की रेप पीड़ित तीनों सगी बहनों का नाम लेकर उनकी पहचान जाहिर करने का मामला…शिंदे की जुबान लगातार फिसलती रही। बफोर्स घोटाले की तरह कोयला घोटाले को भूल जाने के शिंदे के बोल हों या फिर हैदराबाद धमाकों पर शिंदे का बयान…शिंदे खुद के साथ ही अपने पद और गरिमा का भी मखौल उड़ाते रहे..!

एक बार फिर से उऩके अनमोल बोलों ने उनकी सोच पर सवालिया निशान लगा दिया है और फिर से ये सोचने को मजबूर कर दिया है कि क्या शिंदे गृहमंत्री की कुर्सी पर बैठने लायक हैं..?

deepaktiwari555@gmail.com

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