Menu
blogid : 11729 postid : 350

अंबानी को सुरक्षा आम आदमी को क्यों नहीं..?

प्रयास
प्रयास
  • 427 Posts
  • 594 Comments

सुबह के अखबार में एक तरफ दिल्ली में 5 साल की मासूम के साथ दरिंदगी के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाने की जरूरत पर बल देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बयान था तो दूसरी तरफ अरबपति कारोबारी रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी को सरकार का जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराने का सरकार के फैसले की खबर।

विडंबना देखिए महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के लिए सरकार और कड़े कदम उठाए जाने की बात करती है…वो भी तब जब 16 दिसंबर के बाद एक पांच साल की मासूम का जीवन नर्क हो जाता है और वीआईपी सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी अरबपति कारोबारी को जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराने का फैसला ले लेती है..!

ये जाहिर करता है कि सरकार को देश की आवाम की सुरक्षा की चिंता नहीं है…महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा की चिंता नहीं है लेकिन अरबपति कारोबारियों की सुरक्षा की खूब चिंता है..! वीआईपी सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ जवानों को तुरंत तैनात होने का आदेश दे दिया जाता है। हो हल्ला मचने पर सरकार भले ही बचाव में आते हुए सुरक्षा का खर्च मुकेश अंबानी के द्वारा उठाए जाने की दलील देकर चारों तरफ हो रही किरकिरी से बचने की कोशिश करती है लेकिन इसके बाद भी जेड श्रेणी सुरक्षा के तहत 28 हथियारबंद जवान तो 24 घंटे अंबानी के साथ तैनात रहने के सवाल पर कुछ नहीं बोलती..!

इसका मतलब तो यही निकलता है कि अंबानी ने सुरक्षा के खर्च उठाने की पेशकश करके सरकार से सीआरपीएफ के उन 28 जवानों को खरीद लिया है जो अब हरदम उनकी सुरक्षा में नात रहेंगे..! सरकार की सोच देखिए वे सीना चौड़ा करके कहते हैं कि अंबानी सुरक्षा का खर्च खुद उठा रहे हैं तो जेड श्रेणी सुरक्षा देने में क्या हर्ज है..!

क्या एक अरबपति कारोबारी अगर सुरक्षा का खर्च खुद उठा सकता है तो अपने ही खर्च पर निजि सुरक्षाकर्मियों को सुरक्षा के लिए नहीं रख सकता लेकिन ऐसा नहीं है..! सरकार को भी सुरक्षा के लिए अपने 28 सशस्त्र जवानों को अंबानी के साथ व्यस्त रखने में कोई आपत्ति नहीं है..! आखिर क्यों..? इसका जवाब सरकार के किसी नुमाइंदे के पास नहीं है..!

महिलाएं और बच्चियां असुरक्षित रहें तो रहें…लेकिन अंबानी की सुरक्षा में 28 सशस्त्र जवानों को तैनात करना सरकार के लिए ज्यादा जरूरी है..! बात सिर्फ महिलाओं और बच्चियों की ही नहीं है। देशभर में अपराधों का ग्राफ लगातार चढ़ रहा है। किसी घटना के बाद पुलिस बल की कमी का बहाना पुलिस विभाग के आला अफसरों के साथ ही सरकार के नुमाइंदों की जुबान के पहले शब्द हैं लेकिन वीआईपी सुरक्षा देने के अपने फैसले का सरकार खुलकर बचाव करने से पीछे नहीं हटती..! इन पर तो सर्वोच्च न्यायालय के नोटिस का भी कोई असर नहीं होता है। कोर्ट वीआईपी सुरक्षा के औचित्य पर सवाल खड़ा करता है और सरकार इसके बाद भी मुकेश अंबानी जैसे अरबपति कारोबारी को जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराने के फैसले लेने में नहीं हिचकती..!

पूरे देश की छोड़िए राजधानी दिल्ली की ही अगर बात करें तो यहां पर वाईआपी सुरक्षा में आठ हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात है जब्कि आपराधिक वारदातों की तफ्तीश के लिए सिर्फ 3400 पुलिसकर्मी ही हैं। वीआईपी सुरक्षा में होने वाला खर्च सुनेंगे तो शायद आपके पैरों तले जमीन खिसक जाए..! वीआईपी सुरक्षा में सरकार सालाना करीब साढ़े तीन सौ करोड़ से ज्यादा रूपए खर्च कर देती है…जिसमें से राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा का खर्च करीब 40 करोड़ है।

वैसे भी सरकार अरबपति कारोबारियों के हितों की रक्षा नहीं करेगी..उनको सुरक्षा मुहैया नहीं करेगी तो किसे कराएगी..?

आम चुनाव करीब है…चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक दलों को पैसा भी तो चाहिए..! अरबपति कारोबारी कम से कम पार्टी फंड में करोड़ों रूपया तो दे देंगे…एक आम आदमी तो नेताओं के लिए ये कर नहीं सकता..! फिर क्यों करे सरकार आम आदमी की सुरक्षा की चिंता..? क्यों न मुहैया कराए मुकेश अंबानी जैसे अरबति कारोबारियों को जेड श्रेणी की सुरक्षा..?

deepaktiwari555@gmail.com

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply