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क्या इनका काम सिर्फ निंदा करना है..?

प्रयास
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महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाओं का ग्राफ आसमान छू रहा है…हर घंटे बलात्कार की एक नयी घटना सामने आ रही है..! विकृत मानसिकता के लोग दरिंदगी की हदें पार करते हुए अपनी हवस की भूख मिटाने के लिए महिलाओं और बच्चियों की जिंदगी को नर्क बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अपराधियों पर लगाम कसने के लिए तैनात पुलिस अपनी फरियाद लेकर थाने पहुंचने वालों के साथ ही अपराधियों जैसा सलूक करती है तो सरकार में बैठे जनता के नुमाइंदे हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं..!

अति होने पर जनाआक्रोश फूटता है तो सरकार की भी नींद टूटती है। पुलिस को दोषियों को पकड़ने का अल्टीमेटम दिया जाता है और पीड़ित को दुत्कारने वाली पुलिस हरकत में आते हुए अपराधियों को गिरफ्तार करने में पूरी ताकत लगा देती है लेकिन ये तब होता है जब 16 दिसंबर जैसी या फिर 5 साल की मासूम के साथ बलात्कार और दरिंदगी की घटना सामने आती है। (जरूर पढ़ें- सिर्फ तारीख बदली…तस्वीर नहीं…!)

ऐसी ही किसी दरिंदगी के बाद हमारे माननीय राष्ट्रपति का मन आहत हो जाता है..! वे घटना पर दुख प्रकट करते हुए घटना की निंदा करते हैं..! अक्सर मौन रहने वाले हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी दुखी हो जाते हैं…वे भी घटना की निंदा करते हैं..! महिलाओं की सुरक्षा के लिए अभी बहुत काम किए जाने की बात करते हैं…संवेदनशील होने की बात करते हैं..! लेकिन कब..? इसका जवाब किसी के पास नहीं है..?

वजह साफ है समय गुजरने के साथ लोग अपनी रोजी रोटी के जुगाड़ में जुट जाते हैं तो सरकार भी सब भूलकर चैन की नींद सो जाती है..! फिर ऐसी ही किसी दरिंदगी पर जब लोगों का खून खौल उठता है तो फिर से घटना की निंदा की जाती है…महिला सुरक्षा की बड़ी बड़ी बातें की जाती हैं…दोषियों को हर हाल में सख्त सजा दिलाने के साथ ही पीड़ित को इंसाफ दिलाने की बातें की जाती हैं लेकिन नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात..!

क्या हमारे माननीय 16 दिसंबर जैसी या फिर 5 साल की मासूम के साथ दरिंदगी जैसे किसी घटना के घटित होने के बाद सिर्फ इसकी निंदा करने के लिए ही हैं..?  क्या महिलाओं और बच्चियों को सुरक्षित वातावरण देना इनकी जिम्मेदारी नहीं है..?  जाहिर है सरकार में शामिल लोग अगर चाहें तो दोषियों को तय समय सीमा के अंदर सजा दिलाने के लिए कड़े कानून बनाने की दिशा में काम कर सकते हैं ताकि अपराधियों को जल्द से जल्द उसके अंजाम तक पहुंचाने का रास्ता साफ किया जा सके लेकिन कड़े कानून बनाने की जब बात आती है तो उसके लिए कमेटियां गठित कर दी जाती हैं…आयोग बनाए जाते हैं और उनकी रिपोर्ट का इंतजार किया जाता है। रिपोर्ट आती भी है तो उसके बिंदुओं को लेकर कैबिनेट में मतभेद उभर कर सामने आते हैं..!

एंटी रेप लॉ जैसा कोई नया कानून सामने आता है तो उसमें भी ऐसे दरिंदों को फांसी की सजा देने के लिए शर्तें रख दी जाती हैं..! अब नये एंटी रेप लॉ को ही देख लें…इसकी धारा-376 ए में प्रावधान है कि रेप किए जाने के कारण अगर लड़की की मौत हो जाए या फिर उसे ऐसा जख्म हो जाए कि वह लंबे समय तक के लिए विजिटेटिव स्टेट(निष्क्रिय) में पहुंच जाए तो ऐसे मामले में कम से कम 20 साल कैद जबकि ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद अथवा फांसी तक हो सकती है। मतलब साफ है कि ऐसे दरिंदों को मौत की सजा के लिए भी या तो लड़की का रेप के बाद मरना जरूरी है या फिर विजिटेटिव स्टेट में पहुंचना..!

ऐसा हो भी जाता है तो लंबी कानूनी प्रक्रिया के चलते अदालत में ये मामले सालों तक लंबित रहेंगे। माना आरोपी को फांसी की सजा हो भी जाती है तो राष्ट्रपति के पास दया याचिका डालने का भी तो अवसर है..! ये छोड़िए इनके मानवाधिकारों की बात करने वालों की भी लंबी फौज है…जो इनको जेल में जरा सी तकलीफ होने पर उनके मानव अधिकारों की बात करते हैं लेकिन उसके मानवाधिकार का क्या जो ऐसे दरिंदों की हवस की शिकार बनीं..?

कुल मिलाकर ऐसे दरिंदे किसी मासूम को दर्द भरी मौत देने या फिर उसकी जिंदगी नर्क से भी बदतर बनाने के बाद भी जिंदा रहेंगे लेकिन जरा सोचिए उसका क्या जिसकी जिंदगी नर्क से भी बदतर हो गयी या फिर जिसने अपनी बेटी, बहन या फिर अपने किसी जिगर के टुकड़े को तड़प तड़प कर मरते देखा है..?

विडंबना देखिए 16 दिसंबर 2012 की घटना हुई तो एंटी रेप लॉ वजूद में आता है…दिल्ली में 5 साल की मासूम के साथ दरिंदगी होती है तो प्रधानमंत्री कहते हैं कि महिला सुरक्षा के लिए बहुत काम किया जाना बाकी है। सवाल ये उठता है प्रधानमंत्री जी कि क्या अब इस बहुत कुछ को अमल में लाने के लिए एक और घटना का इंतजार किया जा रहा है..? (जरूर पढ़ें-बलात्कार- 1971 से 2012 तक!)

खैर छोड़िए कहां तक सवाल करेंगे..? किससे सवाल करेंगे..? सवालों की फेरहिस्त तो काफी लंबी है लेकिन अफसोस जवाब किसी के पास नहीं है…क्योंकि किसी घटना के घटित होने के बाद इनका मन आहत हो जाता है…ये घटना की निंदा करते हैं और बहुत जल्द पीड़ित के दर्द को भूल जाते हैं..!

deepaktiwari555@gmail.com

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