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IPL और IPL में फर्क…!

प्रयास
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भारत में IPL के रोमांच के बीच आयी वर्ल्ड बैंक की एक ताजा रिपोर्ट ने IPL को एक नयी परिभाषा दे दी है। ये रिपोर्ट एक बार फिर से भारत के उस सच को उजागर कर रही है जिसे स्वीकार करने में हमारी देश की सरकार में शामिल जिम्मेदार लोग कतराते रहे हैं..!

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट- “गरीबों की स्थिति: कहां है गरीब, कहां है सबसे गरीब” कहती है कि दुनिया में 1.2 अरब लोग अभी भी बेहद गरीबी के हालत में हैं। रिपोर्ट ये भी कहती है कि दुनिया के गरीबों में से एक तिहाई गरीब भारत में हैं जो रोजाना 1.25 डॉलर यानि कि करीब 65 रुपए से कम में अपना गुजारा करते हैं।

भारत के योजना आयोग के लिए ये रिपोर्ट बकवास हो सकती है क्योंकि योजना आयोग के लिए तो गरीबी की परिभाषा कुछ अलग ही है। योजना आयोग का गरीबी का वो आंकलन को याद ही होगा आपको जिसमें योजना आयोग के मुताबिक शहर में रोजाना 32 रूपए खर्च करने वाले और गांव में 26 रुपए खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है। योजना आयोग के आंकलन को देखें और वर्ल्ड बैंस की इस रिपोर्ट को देखें तो फिर योजना आयोग के हिसाब से भारत में कोई शख्स गरीब है ही नहीं..! ये बात अलग है कि इसी योजना आयोग के दफ्तर में 35 लाख रुपए टॉयलेट के निर्माण में खर्च कर दिए जाते हैं..!

योजना आयोग ही नहीं दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का वो बयान भी यहां पर याद आता है जिसमें वे कहती हैं कि 5 लोगों के परिवार के एक महीने के खाने के खर्च के लिए 600 रुपए काफी हैं..! लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में हर हफ्ते भूख से एक व्यक्ति क्यों दम तोड़ता है उसकी जवाब शायद शीला दीक्षित के पास नहीं है..? (जरूर पढ़ें- शीला जी दिल्ली में भूख से क्यों होती है मौत ?)

आप भी सोच रहे होंगे कि पूरा देश Indian Premier League का लुत्फ उठा रहा है और ये पड़ गए गरीबों और भूखों की चर्चा में..! वैसे भी जब पैसों की बरसात वाले खेल Indian Premier League में पैसों के साथ ही छक्कों की बरसात हो रही हो तो गरीबों और भूखों की Indian Poor League पर कौन चर्चा करना चाहेगा..?

लेकिन जनाब IPL के इन तीन शब्दों में से भी सिर्फ एक शब्द का फर्क तो देखते जाइऐ…एक तरफ Indian Premier League का खूब प्रमोशन हो रहा है। करोड़ों रूपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं…लोगों के पास पीने के लिए पानी नहीं है लेकिन पिच को तैयार करने के लिए पानी बरसाया जा रहा है दूसरी तरफ भारत में निवास करने वाली विश्व की एक तिहाई आबादी यानि कि Indian Poor League की चिंता किसी को नहीं है..! जब बारी इन पर बात करने की आती है…इनके प्रमोशन की आती है तो योजना आयोग का सिर के ऊपर से निकल जाने वाला आंकलन और नेताओं के श्रीमुख से दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की तरह सिर्फ बेतुके बोल ही सुनाई देते हैं जो Indian Poor League का उत्थान नहीं सिर्फ उपहास उड़ाती है..!

हैरत की बात तो ये है कि चुनाव के वक्त पर हमारे देश के राजनेताओं को Indian Poor League की खूब याद आती है। नेताओं पर Indian Poor League का ऐसा खुमार चढ़ता है कि चुनाव में राजनेता Indian Poor League के दरवाजे पर दस्तक देकर इनके उत्थान की बड़ी बड़ी बातें और वादें इनसे करते हैं लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद Indian Poor League को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने और इनके बेहतर जीवन स्तर की बात आने पर ये इन्हें गरीब मानने से ही इंकार कर देते है..! इनको सस्ता  भोजन मुहैया कराने के साथ ही इनके उत्थान के नाम पर जो योजनाएं संचालित की भी जाती हैं उनमें भी भ्रष्ट नेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों का गठजोड़ इनके हक पर डाका मारने का कोई मौका नहीं छोड़ता..!

है न बड़ा फर्क IPL (Indian Premier League) और IPL (Indian Poor League) में लेकिन बेहतर होता जब ये फर्क हमारी देश के नेताओं को नजर आता जो Indian Poor League के उत्थान के नाम पर सत्ता की चाबी तो हासिल कर लेते हैं लेकिन बारी जब वोट का कर्ज उतारने की आती है तो इनका उपहास उड़ाते हैं..!

deepaktiwari555@gmail.com

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