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स्टालिन के बहाने मुलायम पर निशाना..!

प्रयास
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अब इसे इत्तेफाक कहें या कुछ 18 सासंदों वाली करूणानिधि की डीएमके ने केन्द्र सरकार से समर्थन क्या वापस लिया उधर सीबीआई ने विदेशी कारों से अवैध आयात के मामले में करूणानिधि के बेटे एमके स्टालिन के घर छापा मार दिया। स्टालिन पर आरोप है कि उनके प्रड्यूसर बेटे उदयनिधि ने विदेशी गाड़ी मंगवाई है लेकिन इसकी ड्यूटी नहीं चुकाई है। (पढ़ें-सपोर्ट वापस लेते ही सीबीआई ने मारी रेड)।

सीबीआई के इस छापे से एक बार फिर से कई सवाल खड़े हुए हैं जो सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग को लेकर लगते रहे हैं कि केन्द्र सरकार सहयोगी दलों को डराने के लिए सीबीआई का उपयोग करती रही है..!

फिलहाल तो सीबीआई ने छापा सरकार से श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर समर्थन वापस ले चुकी द्रमुक नेता और द्रमुक प्रमुख करूणानिधि के बेटे स्टालिन के घर मारा है लेकिन इसकी मार केन्द्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी पर पड़ने की पूरी संभावना है..! (पढ़ें- CBI का डर या राजनीति का दोगलापन !)

बेनी के बयान पर सरकार से पंगा ले रही 22 सांसदों वाली मुलायम की पार्टी अगर केन्द्र सरकार से समर्थन वापस ले लेती है तो निश्चित तौर पर मनमोहन सरकार अल्पमत में आ जाएगी ऐसे में द्रमुक नेता स्टालिन के घर समर्थन वापसी के दो दिन बाद सीबीआई की ये कार्यवाही केन्द्र सरकार का मुलायम के लिए एक ईशारे की तरह है कि अगर द्रमुक की राह पर चलोगे तो तुम्हारा भी कुछ ऐसा ही हश्र होगा..!

इस बात को इसलिए भी नहीं झुठलाया जा सकता क्योंकि मुलायम सिंह पूर्व में खुद इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि केन्द्र सरकार सहयोगी दलों को सीबीआई का डर दिखाती है। ऐसे में डीएमके नेता एमके स्टालिन के घर सीबीआई के छापे के बाद मुलायम केन्द्र सरकार के प्रति अपने नाम को सार्थक करने हुए कठोर से फिर से मुलायम हो जाएं तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए..!

अपने सियासी फायदे के लिए सीबीआई के दुरुपयोग के आरोप हमेशा लगते रहे हैं फिर चाहे केन्द्र में यूपीए की सरकार हो या एनडीए की..! इससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती 2004 के आम चुनाव से पहले यूपी में साथ मिलकर चुनाव न लड़ने पर  भाजपा पर सीबीआई के नाम पर धमकाने का आरोप लगा चुकी हैं।

यूपीए पर तो हमेशा से ही इस तरह के आरोप लगते रहे हैं फिर चाहे वो मुलायम सिंह और मायावती का मसला हो या फिर अब द्रमुक का..! (पढ़ें- माया-मुलायम के कितने मुंह ?)

समाजसेवी अन्ना हजारे, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल एंड कंपनी के साथ योगगुरु बाबा रामदेव भी सीबीआई के दुरुपयोग को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधते रहे हैं और सीबीआई की स्वायत्ता को लेकर आवाज बुलंद करते रहे हैं।

एक बार फिर से सीबीआई के बहाने केन्द्र की यूपीए सरकार फिर से सियासी दलों के निशाने पर हैं वो भी ऐसे वक्त पर जब सरकार पर अल्ममत में आने का संकट गहरा रहा है। सरकार भले ही डीएमके नेता स्टालिन के घर सीबीआई के छापे का समर्थन वपस लेने से कोई संबंध होने से इंकार करती नजर आएगी लेकिन समर्थन वापसी के दो दिन के बाद सीबीआई का छापा कहीं न कहीं सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करने के लिए काफी है ऐसे में देखना ये होगा कि सीबीआई का ये छापा केन्द्र सरकार की राह आसान करता है या फिर मुश्किल..! फिलहाल तो इस छापे ने मुलायम सिंह को केन्द्र सरकार के प्रति अपने कठोर रुख के लिए एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया होगा।

deepaktiwari555@gmail.com

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