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फिर से- पाकिस्तान की तो..!

प्रयास
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हमारी सीमा में घुसकर पाकिस्तानी सैनिक हमारे सैनिकों का सिर कलम कर देते हैं लेकिन हमारी सरकार कुछ नहीं करती..! बड़ी जद्दोजहद के बाद घटना के एक हफ्ते बाद 14 जनवरी को प्लैग मीटिंग होती है को उल्टा पाकिस्तान बड़ी बेशर्मी से सारे आरोपों को नकार कर भारतीय सेना पर सीज फायर उल्लंघन का आरोप लगा देता है लेकिन हमारी सरकार कुछ नहीं करती..!

एक हफ्ते बाद हमारे प्रधानमंत्री का मौन टूटता है तो वे कड़ी कार्रवाई की बात तो करते हैं लेकिन फिर भी सरकार कुछ नहीं करती..!

हमारे गृहमंत्री हिदूं आतंकवाद का शिगूफा छोड़कर सीमा पार बैठे अमन के दुश्मनों का हौसला बढ़ाते हैं लेकिन अपने सैनिकों का सिर कलम होने पर कोई कार्रवाई नहीं करते..!(पढ़ें-पाकिस्तान की तो..!)

शुक्र है कि पाकिस्तान की तरह भारत में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का खुलेआम मखौल नहीं उड़ाया जाता है इसलिए सीमा पर भारतीय सैनिकों का सिर कलम करने की पाकिस्तानी सैनिकों की बर्बर कार्रवाई पर दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के केन्द्र सरकार को नोटिस पर उम्मीद जगी है कि शायद अब भारत सरकार नींद से जागेगी..!

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सर्वा मित्तर की याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि भारत सरकार ने इस घटना के बाद क्या कदम उठाए..? मित्तर ने अपनी याचिका में कोर्ट से मांग की है कि पाकिस्तान की बर्बर कर्रवाई जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है और कोर्ट सरकार को ये निर्देश दे कि सरकार मामले को आंतर्राष्ट्रीय अपराध कोर्ट में उठाए और पाकिस्तान से शहीद हेमराज का सिर वापस मांगे। (पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया केंद्र सरकार को नोटिस)

सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करने के साथ ही कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन सौरभ कालिया के संबंध में दायर एक जनहित याचिका का भी जिक्र किया है जिसमें पाकिस्तान से कालिया का क्षत-विक्षत शव लौटाने की मांग की गई थी…ये याचिका भी अभी न्यायालय में लंबित है।

पाकिस्तान सीमा पर अपनी नापाक हरकतों से कभी बाज नहीं आया और जनवरी 2013 में भारतीय सैनिकों का सिर कलम करना भी पाकिस्तान की अमानवीयता को दर्शाता है जबकि 1949 में जिनेवा कन्वेंशन में कहा गया है कि कोई भी देश युद्धबंदियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करेगा और साथ ही किसी दूसरे देश के सैनिक या असैन्य नागरिक के शव के साथ अमानवीय कृत्य या शव पर किसी तरह का परीक्षण नहीं करेगा। लेकिन कारगिल में शहीद कैप्टन सौरभा कालिया और उनके 5 साथियों के शव के साथ ही जनवरी 2013 में भारतीय सीमा में घुसकर शहीद हेमराज और सुधाकर के शव के साथ पाकिस्तान ने अमानवीयता और बर्बरता की सारी हदें पार कर डाली।

इन घटनाओं ने पूरे देश का खून खौला दिया लेकिन हमारी सरकार में शामिल लोगों का खून नहीं खौला..! खौलेगा भी कैसे इनका खून तो लगता है कि देशभक्ति की बजाए भ्रष्टाचार और घोटालों से रंगा हुआ है..! जो देश की रक्षा के लिए होने वाले सौदों में भी अपना फायदा ढूंढ लेता है..! (पढ़ें- लेकिन इनका खून नहीं खौलता..!)

अपने सैनिकों के साथ बर्बरता पर 1999 में कारगिल फतह पर वाहवाही लूटने वाली एनडीए की सरकार का रवैया और वर्तमान में यूपीए सरकार का रवैया एकसमान दिखता है…ऐसे में कैसे इनसे पाकिस्तान की नापाक हरकतों पर जवाबी कार्रवाई की उम्मीद की जा सकती है..!

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस जरूर जारी किया है ऐसे में अब तक कुछ न करने वाली सरकार से बहुत ज्यादा उम्मीद तो नहीं है लेकिन इस जुमले को भी नहीं झुठला सकते कि “उम्मीद पर ही दुनिया कायम है”।

एक उम्मीद है कि शायद अब तो सरकार चेतेगी और ऐसे कदम उठाएगी ताकि कम से कम भविष्य में देश रक्षा के लिए घर परिवार से दूर विपरित परिस्थितियों में सीमा में तैनात हमारे जांबाज सैनिकों के साथ ऐसी बर्बरता फिर न हो। देश रक्षा के लिए खुशी खुशी अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सभी वीर शहीदों को मेरा शत शत नमन।।जय हिन्द।।

deepaktiwari555@gmail.com

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