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यकीन नहीं होता- इस्लाम ऐसी शिक्षा देता है !

प्रयास
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आज समाचार चैनलों में एक खबर को देखने से पहले मैं तो कम से कम यही सोचता था कि हिंदुस्तान को आजाद हुए 66 साल हो गए हैं…लेकिन इस खबर को देखने के बाद लगा कि कहीं मैं गलत तो नहीं हूं..! क्या वाकई में हमें आजादी मिले 66 साल हो गए हैं..? अगर इसका जवाब हां है तो फिर जरूर ये खबर झूठी होगी..! लेकिन अफसोस न तो ये खबर गलत थी और न ही ये झूठ है कि हिंदुस्तान को आजाद हुए 66 साल हो गए हैं।
कश्मीर में लड़कियों के एकमात्र बैंड प्रगाश के बंद होने की खबर थी। इसके पीछे जो वजह बताई जा रही थी वो और भी हैरान करने वाली थी। खबर के मुताबिक सर्वोच्च मुफ्ती बशीरूद्दीन अहमद ने लड़िकयों के गाने को गैर इस्लामिक करार देते हुए इनके खिलाफ फतवा जारी किया है। ये भी कहा जा रहा है कि एक कट्टरपंथी उग्रवादी महिला संगठन दुश्तकान ए मिल्लत ने बैंड में शामिल लड़कियों के परिवार के सामाजिक बहिष्कार तक की धमकी दी है। जिसके बाद बेहद डरी हुई इन लड़कियों ने अपने बैंड को बंद करने के साथ ही संगीत को छोड़ने का फैसला लिया है।
गलत व अनैतिक कार्य न करने की शिक्षा तो सभी धर्म देते हैं लेकिन संगीत से दूर रहने की शिक्षा भी कोई धर्म देता है ये आज ही पता चला। यहां पर अपने मुस्लिम मित्रों का मार्गदर्शन चाहूंगा क्योंकि मेरा सामान्य ज्ञान तो यही कहता है कि संगीत तो कम से कम गैर इस्लामिक नहीं हो सकता और मेरे हिसाब से तो ये बिल्कुल गलत है कि गायकी इस्लामिक शिक्षा के अनुरूप नहीं है।
संगीत पर तो गुलाम भारत में भी अंग्रेजों ने शायद ही रोक लगाई होगी लेकिन आज हमें आजाद हुए 66 साल हो गए हैं…हम चांद के बाद मंगल ग्रह तक पहुंच गए हैं लेकिन अभी भी हमारे समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं जिन्हें लड़कियों की गायकी पर आपत्ति है।
बसीरूद्दीन साहब कल्पना चावला तो याद ही होगी आपको…आज से 10 साल पहले 1 फरवरी 2003 को दुखद हादसे में हमें छोड़ कर चली गयी। अंतरिक्ष के रहस्यों को सुलझा रही थी कल्पना लेकिन आप क्या समझोगे आपकी सोच तो घर की चारदीवारियों से बाहर ही नहीं निकल पाती है।
अच्छा लगा की जम्मू- कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने लड़कियों का समर्थन किया है लेकिन और अच्छा लगता अगर मुख्यमंत्री उमर साहब फतवा जारी करने वालों के खिलाफ कानूनी फतवा जारी करवाते और चार दीवारी के अंदर की सोच रखने वाले ऐसे लोगों को ही जेल की चार दीवारी में कैद करने की पहल कर ऐसी सोच वाले लोगों को ये संदेश देने की कोशिश करते कि हिंदुस्तान को आजाद हुए 66 साल हो गए हैं लेकिन उमर साहब ने अपना ट्वीट हटाकर अपने कदम पीछे खींचकर ये दर्शा दिया कि उनकी सोच भी ऐसी ही है वर्ना वे लड़कियों के समर्थन में खुलकर आगे नहीं आते..!
क्या करें उमर साहब भी मुख्यमंत्री हैं तो क्या..? राजनीति भी तो करनी है कश्मीर में…! देख लो जम्मू – कश्मीर वालों तुम्हारा कश्मीर किन हाथों में है..? वहां का मुख्यमंत्री राज्य की बेटियों का हौसला नहीं बढ़ा सकता…ऐसे फतवे जारी करने वालों की हौसला अफजाई जरूर कर रहा है..!
बहरहाल ये वक्त है कि मुस्लिम समुदाय खुद आगे आए और रॉक बैंड में अपने भविष्य के सुनहरे सपने देख रही इन लड़कियों का उत्साह बढ़ाएं और ऐसे फतवे जारी करने वालों को और उनका समर्थन करने वालों को सबक सिखाए।

deepaktiwari555@gmail.com

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