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लेकिन हर सपना पूरा नहीं होता !

प्रयास
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कांग्रेस के चिंतन शिविर में राहुल गांधी ने कहा कि उनकी मां सोनिया गांधी ने रोते हुए उन्हें बताया कि सत्ता “जहर” की तरह है। सवाल ये है कि इसके बाद भी सोनिया ने राहुल को पार्टी उपाध्यक्ष बनाकर इस जहर को पीने के लिए क्यों आगे किया..!
हलांकि समाजसेवी अन्ना हजारे ने राहुल गांधी समेत तमाम राजनेताओं से एक सवाल के साथ ही यह भी साफ किया कि वाकई में सत्ता जहर नहीं नशा है..?
अन्ना हजारे ने सवाल किया कि अगर वाकई में सत्ता नशा है तो क्यों इसके पीछे भाग रहे हो..?
इसके लिए लालायित रहते हो..?
इसे छोड़ क्यों नहीं देते..?
ये सवाल उठना जायज भी है कि आखिर क्यों कोई जानबूझकर जहर को पाने के लिए और उसे पीने के लिए इतना बेचैन रहता है कि इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार रहता है..?
इस सवाल का जवाब तो मिला नहीं लेकिन अन्ना हजारे ने इस पर से कुहासा हटाते हुए बताया कि सत्ता असल में जहर नहीं है…सत्ता नशा है..!
अगर गहराई से सोचा जाए तो सत्ता नशा नहीं तो और क्या है..? क्योंकि नशा चाहे किसी भी चीज का हो आदमी को मदहोश कर देता है और इस नशे का आनंद लेने के लिए इसका आदि व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार रहता है..!
फिर चाहे इसके लिए वह कुछ गलत भी कर रहा होता है तो वह इससे गुरेज नहीं करता क्योंकि उसे तो नशे का आनंद लेना होता है..!
सत्ता रूपी नशे के लिए नेता इसलिए भी कुछ भी करने को तैयार रहते हैं क्योंकि ये नशा उन्हें ताकत भी देता है…दूसरों पर राज करने की ताकत..!
सत्ता के नशे में सत्ताधारी नेताओं की मदहोशी के उदाहरण भी हमें समय समय पर देखने को मिलते हैं चाहे किसी पर रौब झाड़ना की बात हो या फिर उन्हें कुछ गलत करने से रोकने पर देख लेने की धमकी देने की बात..!
सत्ता मे रहकर इस नशे में मदहोश नेता भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं तक पार कर जाते हैं क्योंकि उनकी मदहोशी उनकी सोचने की शक्ति का हरण कर लेती है और वे इस गुमान में रहते हैं कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा..!
हालांकि ये उनकी गलतफहमी साबित होती है और कई ऐसे उदाहरण हमारे सामने हैं जब ऐसे नेता सत्ता से बाहर होने के बाद तो कभी सत्ता में रहते हुए ही जेल की सलाखों के पीछे पहुंच जाते हैं।
लेकिन विडंबना देखिए इसके बाद भी सत्ता रूपी नशे में मदहोश होने के लिए नेता सारी हदें लांघ जाते हैं…हालांकि ये अलग बात है कि सत्ता हर किसी को नसीब नहीं होती..!
अच्छा होता कि सत्ता रूपी नशे में मदहोश हो जाने के बाद काश नेता देशहित में सोचते…देश के विकास की सोचते…देशवासियों के विकास की सोचते…अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के विकास की सोचते…तो शायद हिंदुस्तान की तस्वीर ही आज कुछ और होती…लेकिन अफसोस हर सपना पूरा नहीं होता।

deepaktiwari555@gmail.com

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