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ये वही राजपथ है…वही “गण’ ‘तंत्र” है !

प्रयास
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चारों तरफ गणतंत्र दिवस की धूम है…हो भी क्यों न आज से 63 साल पहले 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान आज ही के दिन लागू हुआ था। भारत का संविधान अस्तित्व में आने के बाद भारत एक संप्रभु देश बना था। दिल्ली में आज राष्ट्रपति ने तिरंगा फहराया जिसके बाद राजपाथ में जमीन से आसमान तक भारत की बहुमूल्य संस्कृति और सैन्य ताकत का भव्य नजारा दिखाई दिया।
राज्यों की रंग बिरंगी संस्कृति से देश रूबरु हुआ तो विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर भारत ने दुनिया को अपनी ताकत का एहसास भी कराया। पांच हजार किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने वाली अग्नि-5 मिसाइल के साथ ही अवॉक्स प्रणाली और पानी के भीतर दुश्मन की निगरानी में सक्षम नौसैनिक सोनार प्रणाली की भी नुमाइश हुई तो अर्जुन टैंक, सर्वत्र पुल, पिनाक मल्टी बैरल रॉकेट लांचर सिस्टम भी नजर आया। वहीं इस साल नौसेना में शामिल होने वाले विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य का लघु संस्करण भी परेड में दिखा।
64वें गणतंत्र दिवस पर राजपथ देश प्रेम से ओतप्रोत दिखाई दे रहा था लेकिन इस गणतंत्र दिवस पर हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि जिस राजपथ पर देश की संस्कृति और सैन्य ताकत पर आज हम इठला रहे हैं…इस राजपथ पर दिसंबर में दिल्ली गैंगरेप के खिलाफ देश के युवाओं में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला था। उस वक्त न तो देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति भवन से बाहर निकले न ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने युवा आक्रोश को समझने की कोशिश की। देश के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने तो इनकी तुलना नक्सलियों से तक कर दी थी।
राजपाथ पर युवाओं को न सिर्फ अपनी आवाज बुलंद करने से रोका गया बल्कि दिल्ली पुलिस ने तो उन पर पानी की बौछार करने के साथ ही लाठियां भांजने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि देर से ही सही लेकिन राजपाथ पर उमड़ा युवाओं का आक्रोश रंग भी लाया और सरकार न सिर्फ महिलाओं की सुरक्षा के प्रति संजीदा दिखाई दी बल्कि महिला अपराधों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की कवायद भी शुरु हुई।
गणतंत्र दिवस से ठीक पहले जनवरी के पहले सप्ताह में सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों की बर्बरता ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था लेकिन उस वक्त पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देना तो दूर हमारे प्रधानमंत्री को मुंह खोलने में पूरे एक सप्ताह का वक्त लग गया। इस घटना के बाद भारत के कमजोर और ढीले रवैये ने दुश्मन के हौसले को बढ़ाने का ही काम किया फिर वो एक हफ्ते बाद पीएम की चुप्पी टूटने की बात हो या फिर गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का गैर जिम्मेदाराना बयान।
अहम मुद्दों पर देर से चुप्पी तोड़ने वाले हमारे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने इस गणतंत्र दिवस पर तमाम मुद्दों के अलावा महिलाओं को सुरक्षा का भरोसा देने के साथ ही पाक की बर्बर कार्रवाई पर पाकिस्तान को चेताया तो है…लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या सिर्फ महिलाओं को सुरक्षा का भरोसा महिलाओं के साथ हो रहे अपराध को कम कर पाएगा या फिर पाकिस्तान को चेतावनी मात्र देने से सीमा पर ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी..?
क्या ये वक्त नहीं है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए सिर्फ जांच कमेटी, रिपोर्टों से आगे बढ़कर इस दिशा में न सिर्फ ठोस कदम उठाए जाएं बल्कि उनका क्रियान्वयन भी हो..? क्या ये वक्त नहीं कि सीमा पर बर्बरता दिखाने वाले पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए बजाए इसके कि हमारी सरकार में शामिल लोग हिंदू आतंकवाद जैसे बयान देकर उनकी हौसला अफज़ाई करें..?
उम्मीद करते हैं इस गणतंत्र दिवस के बाद से एक नई शुरुआत होगी…महिलाएं बिना डर के घर से बाहर निकलने की हिम्मत जुटा पाएंगी तो भारत की तरफ पलटकर देखने से पहले पाकिस्तान सौ बार सोचेगा..! हालांकि ये बात सही है कि इसके लिए सिर्फ “तंत्र” को ही नहीं बल्कि “गण” को भी संकल्प लेना होगा इसी उम्मीद के साथ आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।। जय हिंद ।।

deepaktiwari555@gmail.com

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