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सुनो सचिन…ये आलोचक नहीं प्रशंसक हैं

प्रयास
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इसमें कोई शक नहीं कि ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान रिकी पॉन्टिंग एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं। पॉन्टिंग के वन डे क्रिकेट के बाद अब टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास की घोषणा के बाद ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के एक सुनहर युग का अंत हो गया है। 1999 में स्टीव वॉ की कप्तानी में विश्व कप जीतने के बाद पॉन्टिंग की कप्तानी में ही ऑस्ट्रेलिया ने 2003 और 2007 का विश्व कप खिताब अपनी झोली में डालकर विश्व कप खिताब जीतने की हैट्रिक पूरी की थी। लेकिन रिकी पॉन्टिंग के संन्यास को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी भारत के सचिन तेंदुलकर के संन्यास से जोडना कहीं से भी तर्कसंगत नहीं लगता। ये बात सही है कि सचिन का बल्ला जिसने अनगिनत रिकार्ड उगले हैं…बीते कुछ समय से शांत है…ऐसे में इसका ये मतलब तो नहीं कि सचिन अब वो सचिन नहीं रहे…जिसके आगे गेंदबाजी करने में बड़े से बड़ा गेंदबाज भी कांपता था। सचिन ने हर बार अपने आलोचकों को अपने बल्ले से कड़ा जवाब दिया है…और पूरी उम्मीद है कि एक बार सचिन फिर से अपने बल्ले से करारा जवाब अपने आलोचकों को देंगे। वैसे आलोचक चाहें किसी के भी हों…लेकिन असल में आलोचक ही वे लोग होते हैं जो आपको आगे बढ़ने के लिए अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं….वे आपको याद दिलाते रहते हैं कि आप का लक्ष्य क्या है…यानि कि वे आपके आलोचक होते हुए भी आपके सबसे बड़े शुभचिंतक और प्रशंसक हैं। सिर्फ इसलिए सचिन के संन्यास पर हो हल्ला मचा है क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी पॉन्टिंग ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया है तो ये गलत है। रिकी पॉन्टिंग खुद इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि वे बल्ले से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन टीम के लिए नहीं कर पा रहे हैं…और इसलिए वे क्रिकेट को अलविदा कह रहे है…यानि की पॉन्टिंग ये मान चुके हैं कि वे उनके अंदर अब और ज्यादा क्रिकेट नहीं बचा है। सचिन की अगर बात करें तो माना सचिन का बल्ला बीते कुछ समय से शांत रहा है लेकिन मैदान पर आज भी सचिन का आत्मविश्वास गजब का रहता है और सचिन की मौजूदगी टीम के बाकी सदस्यों के लिए ऊर्जा का काम करती है तो विपक्षी कप्तान और गेंदबाजों की मुश्किल। वैसे में सचिन कई मौके पर संन्यास की बात को नकारते हुए अभी और क्रिकेट खेलने की ईच्छा जाहिर कर चुके हैं और तो और हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के सर्वश्रेष्ठ सम्मान “ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया” सम्मान से सम्मानित होने के दौरान सचिन ने फिर से ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने की इच्छा जतायी थी…यानि कि सचिन को पता है कि अभी उनके अंदर क्रिकेट बची है और वे शारीरिक रूप से फिट और मानसिक रूप से इसके लिए तैयार भी हैं। क्या लगता है सचिन जैसा खिलाड़ी जिसे क्रिकेट के खेल में भगवान का दर्जा दिया जाता है…वो खुद कभी चाहेगा कि क्रिकेट से उसकी विदाई निराशाजनक हो…शायद नहीं न…फिर चिंता किस बात कि खेलने दीजिए सचिन को और खेलते हुए देखिए सचिन को…सचिन का बल्ला बोलेगा और अपने बल्ले से सचिन एक बार फिर अपने आलोचकों को माफ करना प्रशंसकों को करारा जवाब देंगे।

deepaktiwari555@gmail.com

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