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अब जनता कहेगी- ‘सत्ता से जाओगे, दोबारा वापस नहीं आ पाओगे’

प्रयास
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देश का कानून मंत्री जब खुलेआम गुंडई पर उतर आए तो क्या कहेंगे…खुर्शीद साहब माना आपको इस बात का दर्द जरूर होगा कि बड़े बड़े घोटालों का किसी को कानों कान पता नहीं चला और सिर्फ 71 लाख रुपए के घालमेल में ईज्जत चली गयी…इसका मतलब ये तो नहीं कि आप ये भूल जाएं कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में निर्वाचित सरकार में कानून मंत्री हैं। जिस कानून मंत्री से लोगों का न्याय की आस रहती है…लेकिन आपने तो जनता को दिखा दिया की कानून मंत्री क्या कर सकता है। अपके इस बयान से तो कम से कम यही प्रतीत होता है…जो आपने केजरीवाल के संबंध में दिया। आप कहते हैं ‘केजरीवाल फर्रुखाबाद जाकर वहां से लौटकर दिखाएं’…आप कहते हैं कि ‘अब मैं कलम की जगह लहू से काम लूंगा’…आप कहते हैं कि ‘आप जवाब सुनो और सवाल पूछना भूल जाओ’…आपके इस बयान से तो यही लगता है कि हम किसी तानाशाह का बयान सुन रहे हों…जैसे हम आजाद भारत में नहीं बल्कि 1947 से पहले के भारत में रह रहे हों। हैरानी तो तब होती है जब इतना सब होने के बाद सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी मौन हैं। माना मनमोहन सिंह को तो मौन रहने की आदत है…लेकिन सोनिया जी आज तो सुन रही हैं न…क्या कह दिया आपके लाडले कानून मंत्री जी ने। मानसून सत्र में लाल कृष्ण आडवाणी ने जब यूपीए 2 सरकार को ‘नाजायज’ कहा तो उस वक्त तो आपको खूब गुस्सा आया…लेकिन अब आपको क्या हो गया ? क्या आपको कानून मंत्री की गुंडई नहीं दिखाई देती ? जो सिर्फ इस बात पर बार बार अपना आपा खो देते हैं कि उन पर लगे आरोपों का एक आम आदमी उनसे जवाब मांगता है। क्या जो आम आदमी अपने नेता को चुनता है…वो उस आम आदमी के प्रति नेताओं की जवाबदेही नहीं बनती…अब कानून मंत्री को ये बात समझानी पड़े तो बाकी नेताओं की तो बात ही करनी बेकार है। सलमान साहब अगर आप पाक साफ हैं…आपके ट्रस्ट किसी घालमेल में लिप्त नहीं है तो डरते क्यों हो ? सवाल पूछने पर बार बार बौखलाते क्यों हो ? पेश कर दो मिसाल कि आप पाक साफ हो…दे दो इस्तीफा अपने पद से…लेकिन ये सब करने के लिए कलेजा चाहिए खुर्शीद साहब कलेजा…आप तो ये मानकर शायद कुर्सी पर बैठे हैं कि क्या पता दोबारा मौका मिले न मिले…दोबारा जनता आपको चुने या न चुने…इसलिए जितनी ऐश काटनी है अभी काट लो…कोई कुछ कहने वाला नहीं है…क्योंकि सरकार के मुखिया मनमोहन सिंह साहब को तो सबकुछ जानने के बाद भी मौनी बाबा बने रहने में आनंद की अनुभूति होती है लगता है…या फिर इसे उनकी मजबूरी कहें। जहां तक बात है यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी कि उनको शायद 2014 के आम चुनाव में यूपी के अल्पसंख्यक वोटर नजर आते हैं…औऱ वैसे भी सलमान खुर्शीद साहब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बड़ा अल्पसंख्यक चेहरा माना जाता है। ऐसे में उन पर कितने ही आरोप लगें…वो कुछ भी बोलें…आप उनको नहीं छेड़ेंगी…क्योंकि सोनिया को डर है कि कहीं आगामी चुनाव में सरकार को अल्पसंख्याक मतदाताओं के वोट से हाथ न धोना पड़े। यानि कि मनमोहन मौन हैं और सोनिया गांधी को 2014 के आम चुनाव की चिंता है…ऐसे में सिर्फ सलमान खुर्शीद ही क्यों इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा कुछ भी बकबक करते रहे आप उनको भी नहीं छेड़ सकती क्योंकि गोंडा में बेनी बाबू आपके तुरुप का इक्का हैं। लेकिन ये मत भूलिए कि जनता के समर्थन के बिना नेता और नेतागिरी कुछ नहीं…सरकार बनाना तो दूर की बात है…इसलिए वक्त है अभी भी चेत जाओ…नहीं तो अगर चुनाव में जतना ने ठान लिया तो फिर जनता खुर्शीद साहब की भाषा दोहराएगी और कहेगी- “सत्ता से तो जाओगे.. दोबारा कभी वापस सत्ता में नहीं आ पाओगे।”
deepaktiwari555@gmail.com

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